ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 |
15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 |
22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
29 | 30 | 31 |
روزها که روبروی تو نشسته ام
و هزار گفتگو میان ماست
کی ز بخت خود مرا شکایتی است؟
لیک شب که بی توام
با دل گرفته خو به تو، مرا حکایتی است!
یک جهان غم است
در دلم که خردتر ز مشت بسته است
آسمان نیلی بزرگ را
هم نهایتی است(گر چه کس ندیده است)
آه! کی غم دل مرا نهایتی است!
"محمد قهرمان"