ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | |||
5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 |
12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 |
19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 |
26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
کاش
چشم به راه کسی بودم
آن وقت
نه این آینه غبارآلود بود
و نه این
گل های شمعدانی می خشکیدند!
دیگر منتظر کسی نیستم
هر که آمد
ستاره از رویاهایم دزدید
هر که آمد
سفیدی از کبوترانم چید
هر که آمد
لبخند از لبهایم برید
منتظر کسی نیستم
از سر خستگی در این ایستگاه نشستهام!