ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | |||
5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 |
12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 |
19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 |
26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
در شبانِ غم تنهایی خویش،
عابدِ چشم سخنگوی توام.
من در این تاریکی،
من در این تیرهشبِ جانفرسا،
زائر ظلمتِ گیسوی توام.
شکن گیسوی تو،
موج دریای خیال.
کاش با زورقِ اندیشه شبی،
از شطِ گیسوی مواج تو، من
بوسهزن بر سر هر موج گذر میکردم.
کاش بر این شطِ مواجِ سیاه
همۀ عمر سفر میکردم